बजने लगती
मधुर शहनाई
कानों में
और
सीने में उछलने लगते
प्यारे से कुछ हसीं अरमान
और
फिर खिल उठता
चेहरा
आ जाती मधुर सी
होंठो पर मुस्कान
मीठा सा
वो प्यारा लड्डू शादी का
नाम आते ही
खाने को बेचैन
हो जाता दिल
बाँवरा
लेकिन जो खा चुके
वह शादी का लड्डू
है पछताते
काश न खाया होता
उन्होंने
वह लड्डू
देखने में मीठा
लेकिन………………?
रेखा जोशी
मधुर शहनाई
कानों में
और
सीने में उछलने लगते
प्यारे से कुछ हसीं अरमान
और
फिर खिल उठता
चेहरा
आ जाती मधुर सी
होंठो पर मुस्कान
मीठा सा
वो प्यारा लड्डू शादी का
नाम आते ही
खाने को बेचैन
हो जाता दिल
बाँवरा
लेकिन जो खा चुके
वह शादी का लड्डू
है पछताते
काश न खाया होता
उन्होंने
वह लड्डू
देखने में मीठा
लेकिन………………?
रेखा जोशी
No comments:
Post a Comment