Wednesday, 29 October 2014

बजने लगती मधुर शहनाई कानों में

बजने लगती
मधुर शहनाई
कानों में
और
सीने में उछलने लगते
प्यारे से कुछ हसीं अरमान
और
फिर खिल उठता
चेहरा
आ जाती मधुर सी
होंठो पर मुस्कान
मीठा सा
वो प्यारा लड्डू शादी का
नाम आते ही
खाने को बेचैन
हो जाता  दिल
बाँवरा
लेकिन जो खा चुके
वह शादी का लड्डू
है  पछताते
काश न खाया होता
उन्होंने
वह लड्डू
देखने में मीठा
लेकिन………………?

रेखा जोशी

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