अंजान सफर ज़िंदगी का हम सब तय कर रहे है
दरअसल हम सब भुगत अपने कर्मों का फल रहे है
लिखी जा चुकी है किताब ए ज़िंदगी तो पहले ही
उस किताब के पन्ने ही तो पलट बस हम रहे है
रेखा जोशी
दरअसल हम सब भुगत अपने कर्मों का फल रहे है
लिखी जा चुकी है किताब ए ज़िंदगी तो पहले ही
उस किताब के पन्ने ही तो पलट बस हम रहे है
रेखा जोशी
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