Friday, 17 October 2014

लम्हा लम्हा फिसल रही हाथों से ज़िंदगी

जीवन के संग कदम बढ़ाता चला जाऊँगा 
रस्म ऐ उल्फ़त सदा निभाता चला जाऊँगा 
लम्हा लम्हा फिसल रही हाथों से ज़िंदगी 
खुशियाँ हर ओर सदा लुटाता चला जाऊँगा

रेखा जोशी

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