जीवन के संग कदम बढ़ाता चला जाऊँगा
रस्म ऐ उल्फ़त सदा निभाता चला जाऊँगा
लम्हा लम्हा फिसल रही हाथों से ज़िंदगी
खुशियाँ हर ओर सदा लुटाता चला जाऊँगा
रेखा जोशी
रस्म ऐ उल्फ़त सदा निभाता चला जाऊँगा
लम्हा लम्हा फिसल रही हाथों से ज़िंदगी
खुशियाँ हर ओर सदा लुटाता चला जाऊँगा
रेखा जोशी
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