Wednesday, 1 April 2015
ढलते ही शाम के छिप गये सब नज़ारे
ढलते ही शाम के छिप गये
सब नज़ारे
टिमटिमाने लगे
नभ में असंख्य तारे
आसमान में
लहराया आँचल
निशा ने
जगमगाने लगे गगन में चाँद सितारे
रेखा जोशी
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment