ज़िंदगी भी होश अब खोने लगी साजन
हसरते भी बोझ बन रोने लगी साजन
हाथ मेरा तुम पकड़ भी लो अगर तो क्या
ज़िंदगी की शाम अब होने लगी साजन
रेखा जोशी
हसरते भी बोझ बन रोने लगी साजन
हाथ मेरा तुम पकड़ भी लो अगर तो क्या
ज़िंदगी की शाम अब होने लगी साजन
रेखा जोशी
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