Wednesday, 15 April 2015

आओ मिल संवारे अब यह ज़िंदगी [गीत ]

 [गीत ]

आओ मिल संवारे हम  यह ज़िंदगी
मिलकर सभी गुज़ारें हम यह ज़िंदगी

अपनों के लिये हमने बहुत किया है
इनके  लिये तो हमने बहुत जिया है
अब गैर को अपना  बना यह ज़िंदगी
....
दुख दर्द बाँट सबके खुशियाँ दे यहाँ
कर ले पुरी अपनी सब हसरतें यहाँ
चाहत के आइने  मुस्काये ज़िंदगी
....
है दो  दिन की अब तो  ज़िंदगी यहाँ
है धूप  छाँव सबको तो मिलती यहाँ
छाँव  में  भी  तो गुनगुनायें  ज़िंदगी
....
आओ मिल संवारे हम  यह ज़िंदगी
मिलकर सभी गुज़ारें हम  यह ज़िंदगी

रेखा जोशी 

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