बंधे हम तुम
प्यार की लहरों से
दौड़ती जो लहू बन कर
हमारी रगों में
हर्षाया हमारा मन
मधुर प्रेम लहरों के संगीत से
हुआ स्पंदन नव अंकुर में
सिमट गई भावनायें
हमारी
पुलकित हुआ मन
नव सृजन पे
आगोश में धरा के
रहेंगे खिलते सुमन
मधुर प्रेम लहरों के संगीत से
रेखा जोशी
प्यार की लहरों से
दौड़ती जो लहू बन कर
हमारी रगों में
हर्षाया हमारा मन
मधुर प्रेम लहरों के संगीत से
हुआ स्पंदन नव अंकुर में
सिमट गई भावनायें
हमारी
पुलकित हुआ मन
नव सृजन पे
आगोश में धरा के
रहेंगे खिलते सुमन
मधुर प्रेम लहरों के संगीत से
रेखा जोशी
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