बहन हूँ तुम्हारी
सौतेली हुई तो क्या
करती हूँ स्नेह तुमसे
चाहती हूँ तुम्हे बनाना अपना
और तुम
रहती हो खफा खफा मुझसे
नहीं करती मै ईर्ष्या तुमसे
और तुम
डाह की अग्नि में
क्यों जला रही हो खुद को
जलन यह तुम्हारी देगी मिटा
तुम्हारे अंतस के प्रेम को
आओ भगिनी मिटा कर द्वेष
बने सखियाँ
रहें मिलजुल कर
दे सुख दुख में साथ
इक दूजे का
रेखा जोशी
बने सखियाँ
रहें मिलजुल कर
दे सुख दुख में साथ
इक दूजे का
रेखा जोशी
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