नदी उतरी
दामन पहाड़ का
बहती चली
..........
चमचमाती
पहाड़ से लिपटी
नदी बहती
…………
आकाश पर
चाँद और सूरज
रहे विचर
…………
सूरज चाँद
खेलें आँख मिचोली
है आते जाते
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बसंत आया
पतझर भगाया
फूल बगिया
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सूना बसंत
जीवन पतझड़
बिन सजन
रेखा जोशी
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