Wednesday, 8 April 2015
अलिवर्णपाद छंद
चलें साथ साथ
हम दोनों आज
मधुर चांदनी
दूर कहीं आज
छूटे नहीं हाथ
निभायें गे साथ
…………।
चाहते हमारी
कुछ हुई पूरी
है कुछ अधूरी
चाहतों में डूबा
जीवन चलता
उम्मीद से बंधा
रेखा जोशी
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