Saturday, 25 April 2015

लेन देन से परे रिश्ते

रिश्ता वही
जिसमे हो प्यार
सुगंध से  जिसकी
खिले विश्वास
स्नेह के धागों से
बंधी डोर रिश्तों की
है बहुत नाज़ुक
शीघ्र चटकती
लेकिन
लेन देन से परे
जब बनते रिश्ते
नही टूटते वह
आसानी से
घायल  होकर भी
निभाते साथ
जीवन भर

रेखा जोशी

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