धरती पर कट के उड़तीं पतंग जब आये
टूटे हुये दिल की आह जब लब पर आये
उठे ज्वाला भीतर जलाये दिल रह रह कर
ओढें मुस्कान झूठी नैन सजल भर आये
रेखा जोशी
टूटे हुये दिल की आह जब लब पर आये
उठे ज्वाला भीतर जलाये दिल रह रह कर
ओढें मुस्कान झूठी नैन सजल भर आये
रेखा जोशी
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