Wednesday, 8 April 2015

घट घट में है वही समाया ,जिन खोजा उसने ही पाया

जय शिव शंकर बम बम भोले ,नयन तीसरा जब वह खोलें 
 अगन सब ओर बरसाये, त्राहि त्राहि चहुँ ओर मचाये 

मन मंदिर में ईश हमारे ,ढूँढ  रहे सब मारे मारे
घट घट में है वही  समाया ,जिन खोजा उसने ही पाया

प्रभु की अपरम्पार यह लीला ,सर चमके अंबर यह नीला 
हरे भरे उपवन महकाये ,रंग बिरंगे सुमन खिलाये 

हाथ जोड़ कर शीश झुकाये ,सदा हमारे रहो सहाये 
विनती करे है हम तुम्हारी ,रखना लाज प्रभु तुम हमारी 

राह निहारते  प्रभु  तुम्हारी , आये अब हम शरण तिहारी 
नैनों  में तुम आन समाये  , कुछ भी ना तेरे बिन भाये

रेखा जोशी 

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