Wednesday, 1 April 2015

चौपाइयाँ


जय गोपाला  जय जय  रामा  । राम नाम घट घट में बसता
राम का नाम तारे सबको । राम का नाम सुमिरन कर लो ॥ 

नभ पर किसने रंग भरें है ।  आसमान में दीप जड़ें है॥ 
चंदा  सूरज   घूम रहे है     ।  आसमान  में झूम रहे है ॥ 

उपवन महका सुमन रहे है । भंवरे गुंजन कर रहे है
छाई बगिया  में  बहार है    । दिल में भी छाया खुमार है

है रंगीन छटायें छाये  ।    मन को मेरे  बहुत लुभायें॥ 
मोह लेते दिलकश नज़ारे।  खिली यहाँ मदमस्त बहारें॥ 

अपने  ह्रदय राम  बिराजिये । गुणगान प्रभु का ही कीजिये ॥ 
झोली भर भर सब है पायें  । खाली हाथ कोई न जाये 

रेखा जोशी 


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