जय गोपाला जय जय रामा । राम नाम घट घट में बसता
राम का नाम तारे सबको । राम का नाम सुमिरन कर लो ॥
नभ पर किसने रंग भरें है । आसमान में दीप जड़ें है॥
चंदा सूरज घूम रहे है । आसमान में झूम रहे है ॥
उपवन महका सुमन रहे है । भंवरे गुंजन कर रहे है
छाई बगिया में बहार है । दिल में भी छाया खुमार है
है रंगीन छटायें छाये । मन को मेरे बहुत लुभायें॥
मोह लेते दिलकश नज़ारे। खिली यहाँ मदमस्त बहारें॥
अपने ह्रदय राम बिराजिये । गुणगान प्रभु का ही कीजिये ॥
झोली भर भर सब है पायें । खाली हाथ कोई न जाये
रेखा जोशी
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