मेरे पापा द्वारा रचित
श्रीमद भगवद्गीता से :----
जन्म कर्म जो मेरे दिव्य दिव्य जाने तत्व से
देह छोड़ न जन्म ले पाये अर्जुन वह मुझे
.
राग भय क्रोध तज मुझ में मगन मेरी शरण
ज्ञान तप से पुनीत आये मुझ में बहुत जन
..
जैसे जो मुझे भजें वैसे भजूँ मे उन्हें
मार्ग मेरे पर चले मनुष्य सभी ओर से
..
कर्मफल जो चाहते देवगण को पूजते
शीघ्र मानुष लोक में कर्म का फल है मिले
..
महेन्द्र जोशी
श्रीमद भगवद्गीता से :----
जन्म कर्म जो मेरे दिव्य दिव्य जाने तत्व से
देह छोड़ न जन्म ले पाये अर्जुन वह मुझे
.
राग भय क्रोध तज मुझ में मगन मेरी शरण
ज्ञान तप से पुनीत आये मुझ में बहुत जन
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जैसे जो मुझे भजें वैसे भजूँ मे उन्हें
मार्ग मेरे पर चले मनुष्य सभी ओर से
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कर्मफल जो चाहते देवगण को पूजते
शीघ्र मानुष लोक में कर्म का फल है मिले
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महेन्द्र जोशी
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