अगन बरसती धरा पे सबका बुरा हाल
बिन नीर अब धरा पे जीना हुआ मुहाल
परेशान सभी यहाँ सूरज की तपिश से
प्यासा पंछी गर्मी से अब हुआ बेहाल
रेखा जोशी
बिन नीर अब धरा पे जीना हुआ मुहाल
परेशान सभी यहाँ सूरज की तपिश से
प्यासा पंछी गर्मी से अब हुआ बेहाल
रेखा जोशी
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