ज़मीं से पकड़ आसमां ले गया
मुक़द्दर कहाँ से कहाँ ले गया
....
खिली है चमन में बहारें यहाँ
ख़ुशी है जिधर वह वहाँ ले गया
.....
नशा आज छाया था कुछ इस तरह
चले हाथ थामे जहाँ ले गया
....
जला कर हमारा जहाँ चल दिये
मिटा प्यार के सब निशाँ ले गया
…
नहीं कोई ' मेरा यहाँ क्या करे
सजन साथ में कहकशाँ ले गया
रेखा जोशी
मुक़द्दर कहाँ से कहाँ ले गया
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खिली है चमन में बहारें यहाँ
ख़ुशी है जिधर वह वहाँ ले गया
.....
नशा आज छाया था कुछ इस तरह
चले हाथ थामे जहाँ ले गया
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जला कर हमारा जहाँ चल दिये
मिटा प्यार के सब निशाँ ले गया
…
नहीं कोई ' मेरा यहाँ क्या करे
सजन साथ में कहकशाँ ले गया
रेखा जोशी
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