Saturday, 2 May 2015

फिर होगी सुबह होगा नव नाम

समुद्र तट पर 
चल रहे किनारे किनारे 
मचा रही शोर 
आती जाती लहरे 

सूरज चूम रहा
सागर का आंचल 
रंग सिंदूरी चमक रहा 
आसमां भरा गुलाल 

जीवन चलता रहा 
ढलती है शाम 
फिर होगी सुबह 
होगा नव नाम 

रेखा जोशी 

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