यह मन तो मेरा पगला है
पर आइना ये जिंदगी का
...
डूब जाता है कभी तो ये
भावनाओं के समन्दर में
कभी तो अथाह प्यार उमड़े
अंत नही कोई नफरत का
...
रोता बिछुड़ने से ये कभी
गाता गीत खुशियों के कभी
आँसू बहाता भी ये कभी
है प्याला भी मधुर प्रेम का
...
छोटा सा है यह जीवन रे
हर पल युँ हाथ से छूटा रे
सुन ओ पगले मनुवा मेंरे
है मोल बहुत रे इस पल का
...
यह मन तो मेरा पगला है
पर आइना ये जिंदगी का
रेखा जोशी
No comments:
Post a Comment