तीन मुक्तक
1
बुझती नही यहाँ अनबुझ आज प्यास कैसी
आतुर हुआ यहाँ मनवा आज आस कैसी
बेचैन क्यों सदा नज़रें अब यहाँ दरस को
होगा मिलन यहाँ प्रभु से आज न्यास कैसी
..................................................
2
टूटे दिल का अब हम मलाल क्यों करें
बीते दिनों का अब हम ख्याल क्यों करें
नसीब में हमारे जब थे गम ही गम
बेवजह ज़िंदगी पर सवाल क्यों करें
……………………………………
3
ज़िंदगी भी होश अब खोने लगी साजन
हसरते भी बोझ बन रोने लगी साजन
हाथ मेरा तुम पकड़ भी लो अगर तो क्या
ज़िंदगी की शाम अब होने लगी साजन
रेखा जोशी
1
बुझती नही यहाँ अनबुझ आज प्यास कैसी
आतुर हुआ यहाँ मनवा आज आस कैसी
बेचैन क्यों सदा नज़रें अब यहाँ दरस को
होगा मिलन यहाँ प्रभु से आज न्यास कैसी
..................................................
2
टूटे दिल का अब हम मलाल क्यों करें
बीते दिनों का अब हम ख्याल क्यों करें
नसीब में हमारे जब थे गम ही गम
बेवजह ज़िंदगी पर सवाल क्यों करें
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3
ज़िंदगी भी होश अब खोने लगी साजन
हसरते भी बोझ बन रोने लगी साजन
हाथ मेरा तुम पकड़ भी लो अगर तो क्या
ज़िंदगी की शाम अब होने लगी साजन
रेखा जोशी
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