Monday, 4 May 2015

है आकुल मन विकल ह्रदय शरण भगवन मै अब आया

कुरुक्षेत्र में जीवन के बन अर्जुन मै अब  आया
है आकुल मन विकल ह्रदय शरण भगवन मै अब आया

भ्रष्टाचार की है तौबा बढ़े है पेट लालों के
भाई  बँधु  है सब अपने डूबे जो घोटालों  में
खाते  है छीन चारा मुख से अपने भाइयों के
चढ़ा प्रतंचया फिर से ले  गांडीव मै अब आया
है आकुल मन विकल ह्रदय शरण भगवन मै अब आया

पूछो न पाखंडों की ,भरे  आश्रम है बाबों से 
दिखा कर चमत्कार झूठे  लूटे वो मासूमों को
करें खिलवाड़ उम्मीदों का ,आहत कर गरीबों को
चढ़ा प्रतंचया फिर से ले  गांडीव मै अब आया
है आकुल मन विकल ह्रदय शरण भगवन मै अब आया

 लाज अपनी बचाने को पुकारे आज पांचाली
भरे बाज़ार लुटती है यहाँ पर आज है नारी
करो इन्साफ हे भगवन शरण अब आई दुखियारी
चढ़ा प्रतंचया फिर से ले गाँडीव मै अब आया
है आकुल मन विकल ह्रदय शरण भगवन मै अब आया


कुरुक्षेत्र में जीवन के बन अर्जुन मै अब  आया
है आकुल मन विकल ह्रदय शरण भगवन मै अब आया

रेखा जोशी

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