Monday, 18 May 2015

बेमतलब आवारा सी हो गई यह ज़िंदगी

सूनी सूनी सी
बेमतलब आवारा सी
हो गई यह ज़िंदगी

कौन है  तेरा यहाँ
पूछे जो कभी हाल तेरा
अपनी ही धुन में सबकी
चली जा रही है ज़िंदगी
बेमतलब आवारा सी
हो गई यह ज़िंदगी

पागल मन
टीस सीने में दबाये
खुद ही हँसे रोये मन में अपने
और कभी
खुद अपने से ही बात करे
तन्हा तन्हा आज
बेमतलब आवारा सी
हो गई यह ज़िंदगी

रेखा जोशी

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