सुर्ख लाल जोड़ा
मेहंदी रचे हाथ
नैनों में आँसू भर
देख रही मुड़ मुड़ कर
बाबुल का द्वार
छूट रहा माँ का अंगना
आगे साँवरिया
बिलख रही पीछे
माँ की ममता
रहा देख बाबुल
सजल नैनों से
दे रहा दुआएँ
दूर खड़ा कोने में
बसाने दुनिया नई
डोली में बैठ चली
छोड़ बाबुल का अँगना
बता मोरे बाबुल
क्यों हुई मै पराई
क्यों जाना पड़ा मुझे
छोड़ तेरा अँगना
क्यों बनाई रब ने
बेटियाँ पराई
रेखा जोशी
मेहंदी रचे हाथ
नैनों में आँसू भर
देख रही मुड़ मुड़ कर
बाबुल का द्वार
छूट रहा माँ का अंगना
आगे साँवरिया
बिलख रही पीछे
माँ की ममता
रहा देख बाबुल
सजल नैनों से
दे रहा दुआएँ
दूर खड़ा कोने में
बसाने दुनिया नई
डोली में बैठ चली
छोड़ बाबुल का अँगना
बता मोरे बाबुल
क्यों हुई मै पराई
क्यों जाना पड़ा मुझे
छोड़ तेरा अँगना
क्यों बनाई रब ने
बेटियाँ पराई
रेखा जोशी
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