सुबह सुबह
ठिठुरती सर्दी
कूड़े के ढेर में
वह
बीनता सपने
टुकड़ों में
फलों के रोटी के
नही सोऊँगा खाली पेट
सिर पर होगी छत
कह रहा उससे
वह जो
मांगता वोट
दे दूँगा जीते हारे
वह बला से
सपना
सच हो उसका
रेखा जोशी
कूड़े के ढेर में
वह
बीनता सपने
टुकड़ों में
फलों के रोटी के
नही सोऊँगा खाली पेट
सिर पर होगी छत
कह रहा उससे
वह जो
मांगता वोट
दे दूँगा जीते हारे
वह बला से
सपना
सच हो उसका
रेखा जोशी
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