Tuesday, 12 May 2015

गम का अब हमसे रिश्ता है


दिल मेरा तुमने तोड़ा है
इन बातों में क्या रक्खा है

महकी बगिया मेरे मन की
 साजन को  जबसे चाहा है
… 
बैठे है गम दिल में रख कर 
गम का अब  हमसे रिश्ता है 
… 
साथी है हम तो जन्मों के 
रिश्ता यह रब से मिलता है 
.... 
छोड़े ना हम तुम को  साजन 
तुमसे तो  नाता गहरा है

रेखा जोशी 

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