चाह थी अब प्यार का मंज़र मिले
दोस्त हाथों में लिए ख़ंजर मिले
.
देख उनको गैर के आगोश में
दिल हमारे को सजन निश्तर मिले
.
तोड़ कर दिल को हमारे क्या मिला
चल इधर से अब यहाँ पत्थर मिले
.
घूँट कड़वा प्यार में हमने पिया
ज़हर पी कर अब हमे बिस्तर मिले .
.
काँच सा यह दिल यहाँ तोडा गया
ज़ख्म सीने में हमें अन्दर मिले
रेखा जोशी
दोस्त हाथों में लिए ख़ंजर मिले
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देख उनको गैर के आगोश में
दिल हमारे को सजन निश्तर मिले
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तोड़ कर दिल को हमारे क्या मिला
चल इधर से अब यहाँ पत्थर मिले
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घूँट कड़वा प्यार में हमने पिया
ज़हर पी कर अब हमे बिस्तर मिले .
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काँच सा यह दिल यहाँ तोडा गया
ज़ख्म सीने में हमें अन्दर मिले
रेखा जोशी
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