Sunday, 30 November 2014

चाँद सी सुन्दर काया भी ढल जाती इक दिन


लुभाती हम सभी को सुन्दर सलोनी है काया 
लेकिन  देखो तो वक्त की यह कैसी है माया 
चाँद सी सुन्दर काया भी ढल जाती इक दिन 
चार  दिन की चांदनी  फिर  अन्धेरा  है छाया 

रेखा जोशी 

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