सातवें आसमान से
उतर आया
नभ पर
नभ पर
सात घोड़ों पर सवार
हुआ प्रकाशित
जहान
अलौकिक लालिमा से
चमकती सुनहरी धूप
और थिरकती
अरूण की रश्मियाँ
आई मेरे अंगना
हुआ झंकृत
मेरा तन मन
हुआ दीप्त
आज फिर
आशियाना मेरा
रेखा जोशी
अलौकिक लालिमा से
चमकती सुनहरी धूप
और थिरकती
अरूण की रश्मियाँ
आई मेरे अंगना
हुआ झंकृत
मेरा तन मन
हुआ दीप्त
आज फिर
आशियाना मेरा
रेखा जोशी
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