सागर की लहरों जैसे ज़िंदगी मचल रही है
ख़ुशी और गम लिये धारा वक्त की बह रही है
उस ईश्वर के आगे झुकाते है हम सर अपना
सिर्फ उसकी ही रज़ा से यह ज़िंदगी चल रही है
ख़ुशी और गम लिये धारा वक्त की बह रही है
उस ईश्वर के आगे झुकाते है हम सर अपना
सिर्फ उसकी ही रज़ा से यह ज़िंदगी चल रही है
रेखा जोशी
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