अक्सर
खाते है चोट
प्रेम पथ पर चलने वाले
पकड़ विश्वास की डोर
बंद कर नयन अपने
सादगी से
हो जाते समर्पित
प्रेम में अपने
जीवन भर के लिये
दीवानी मीरा जैसे
पागल प्रेम में
हँसते हँसते
पी जाते ज़हर भी
अक्सर
आस्था का दीपक लिये
हाथों में
खा कर गहरी चोट भी
नही रुकते बाँवरे
उजियारा करने की चाह में
बढ़ते जाते प्रेम पथ पर
और
छलकाते जाते प्रेम रस
उन्ही
प्रेम की राहों में
रेखा जोशी
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