Sunday, 2 November 2014

शांत सागर [हाइकु ]

हाइकु 

हूँ मै खामोश 
हलचल भीतर 
शांत सागर
..................
इक हूक जो
है सीने में उठती 
ज्वालामुखी सी
..................
था प्यार किया
हूँ पर तन्हा तन्हा 
दिल से चाहा
...................
प्रेम कठिन
सच्ची प्रीत निभाना 
सजन बिन 
...................
खुले जो लब 
मुहब्बत दिल में 
आवाज़ गुम
...................
नही है शब्द
धड़कन में तुम
हुई  निशब्द

रेखा जोशी 

No comments:

Post a Comment