Thursday, 6 November 2014

अंतस की पीड़ा

बहुत करीब हो
तुम मेरे 
फिर भी 
बहुत दूर हो 
क्यों नही समझ 
पा रहे 
मेरे अंतस की पीड़ा 
क्यों नही सुन 
पा रहे 
शोर मेरे दिल का 
जो रहा  मचल
मचा रहा हलचल 
उन अनकहे जज़बातों का 
मौन हूँ मै
लेकिन 
क्यों नही सुन  
पा रहे तुम 
मेरी आँखों की भाषा 
क्योंकि तुम पास हो कर भी 
दूर हो 
बहुत दूर मुझसे 

रेखा जोशी 

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