हुई शाम साये बड़े हो गए है
छोटे थे हमसे बड़े हो गए है
पैसे की देखो करामात कैसी
बुरे अब दूध के धुले हो गए है
सिक्के जो खरे थे बने आज खोटे
जो खोटे थे अब खरे हो गए है
कोई बात भूली याद आ गई है
जख्म भर गए थे हरे हो गए है
महेन्द्र का जीना कैसा है जीना
कई साल उसको बुझे हो गए है
महेन्द्र जोशी
छोटे थे हमसे बड़े हो गए है
पैसे की देखो करामात कैसी
बुरे अब दूध के धुले हो गए है
सिक्के जो खरे थे बने आज खोटे
जो खोटे थे अब खरे हो गए है
कोई बात भूली याद आ गई है
जख्म भर गए थे हरे हो गए है
महेन्द्र का जीना कैसा है जीना
कई साल उसको बुझे हो गए है
महेन्द्र जोशी
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