Thursday, 6 November 2014

किसे दिल का सुनायें हाल हम अब यहाँ

गीतिका

मात्रा भार ---22
पदांत --आरे
समांत  ---अ

छुप गये जो दिल में रहते थे हमारे
नही  अब  ज़िन्दगी में  रहा कुछ हमारे 
… 
कहाँ ढूँढे उन को  अब  थक गई आँखे 
नहीं  अपना  यहाँ किसे हम अब पुकारें 
… 
किसे दिल का सुनायें हाल हम अब यहाँ 
चले  आओ  हमे दो  सजन  तुम  सहारे 
.... 
बिन तुम्हारे सूनी ज़िंदगी की राहें 
साजन  मेरे  क्यों कर लिये अब किनारे 
… 
कैसे जियेंगे यह तो बता दो बालम 
आ जाओ यहाँ तोड़ कर सब दीवारें 


रेखा  जोशी 

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