Thursday, 27 November 2014

तारों संग नभ पे मुस्कुराता है चाँद

गीतिका

बादलों  की  ओट से झांकता है चाँद
पानी  की  लहरों  पे  चमकता  है चाँद
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आ गये हम तो यहाँ परियों के देश में
यहाँ चाँदनी पथ पे   बिखेरता  है चाँद
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दीप्त  हुआ  चाँदनी   से  चेहरा  तेरा
रोशनी का आलम अब महकता है चाँद
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आये तेरी महफ़िल में अब हम भी सनम
तारों   संग संग नभ  पे  हँसता    है चाँद
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सुंदर  नज़ारों को बसा लिया पलकों में
अब देख कर हमे यहां  खिलता  है चाँद

रेखा जोशी

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