गीतिका
बादलों की ओट से झांकता है चाँद
पानी की लहरों पे चमकता है चाँद
.....................................................
आ गये हम तो यहाँ परियों के देश में
यहाँ चाँदनी पथ पे बिखेरता है चाँद
…………………………………
दीप्त हुआ चाँदनी से चेहरा तेरा
रोशनी का आलम अब महकता है चाँद
........................................... ..........
आये तेरी महफ़िल में अब हम भी सनम
तारों संग संग नभ पे हँसता है चाँद
…………………………………
सुंदर नज़ारों को बसा लिया पलकों में
अब देख कर हमे यहां खिलता है चाँद
रेखा जोशी
बादलों की ओट से झांकता है चाँद
पानी की लहरों पे चमकता है चाँद
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आ गये हम तो यहाँ परियों के देश में
यहाँ चाँदनी पथ पे बिखेरता है चाँद
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दीप्त हुआ चाँदनी से चेहरा तेरा
रोशनी का आलम अब महकता है चाँद
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आये तेरी महफ़िल में अब हम भी सनम
तारों संग संग नभ पे हँसता है चाँद
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सुंदर नज़ारों को बसा लिया पलकों में
अब देख कर हमे यहां खिलता है चाँद
रेखा जोशी
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