Thursday, 13 November 2014

आधुनिकता की अंधी दौड़

शिखा और समीर इक्सिवीं सदी के युवा दोनों अपने अपने घर से दूर दिल्ली में नौकरी कर रहे  थे ,पाश्चात्य सभ्यता से प्रभावित ,लगभग चार वर्ष से दिल्ली की एक पौश कालोनी में किराए पर जगह ले कर लिव इन रिलेशनशिप में रहना शुरू कर दिया था  ,बिना शादी के इस तरह रहना आजकल फैशन बनता जा रहा है ,न जाने कितने युवक ,युवतियां शादी जैसा अपनी जिंदगी का अहम फैसला लेना ही नही चाहते ,वह इसलिए क्योकि आजकल जब बिना शादी के वह एक दूसरे से अपने सम्बन्ध स्थापित कर सकते है तो शादी कर उन्हें जिम्मेदारियां उठा कर कष्ट करने की क्या जरूरत ,अब आधुनिकता के नाम पर पुरुष और स्त्री के  बीच किसी भी प्रकार के शारीरिक संबंध जब विकसित होते  हैं तो उन्हें मात्र नैसर्गिक संबंधों की ही तरह देखा जाने लगा है ,लेकिन समाज इसे व्यक्तिगत मामला  कह कर नही टाल सकता ,वह इसलिए कि आज भी हम  अपनी संस्कृति ,परम्पराओं और नैतिक  समाजिक मान्यता  को प्राथमिकता देते है |

आज की महिला भले ही पुरुष के साथ कंधे से कंधा मिला कर जीवन के हर क्षेत्र में प्रगति कर रही है लेकिन महिला का पुरुष से शारीरिक रूप से कमज़ोर होने के साथ साथ  उनकी सोच में भी बहुत अंतर है ,वह कई फैसले विवेक से नही बल्कि भावना में बह कर ले लेती है चाहे बाद में उसे पछताना ही पड़े ,ऐसा ही फैसला भावना में बह कर शिखा ने भी ले लिया था ,इसी आशा में कि समीर उसके साथ शादी कर लेगा ,लेकिन ऐसा हो नही पाया ,इसके लिए उसने कोर्ट का दरवाज़ा भी खटखटाया परन्तु उसके हाथ निराशा ही लगी |आज जब कभी महिला और पुरुष विवाह से पूर्व सेक्स करते है तो उसे हमारा समाज कभी भी मान्यता नही दे पाता ,उसे सदा अनैतिक ही समझा जाता है | हमारे समाज में कोई भी पुरुष  ऐसी महिला को कभी भी अपनीजीवनसंगिनी नहीं बनाना चाहे गा जिसने विवाह से पहले किसी अन्य पुरुष के साथ सेक्स किया हो यां उसका कौमार्य भंग हो चुका हो,ऐसे में वर्जिनिटी की अवधारणा को समाप्त करना यां युवाओं को सेक्स की खुली छूट देने का कोई औचित्य ही नही रहता |

भगवान् राम की इस पावन भूमि पर तो सीता माँ को भी अग्नि परीक्षा से गुजरना पड़ा था ,आज भी उसी धरती पर मैला आँचल लिए उस स्त्री के लिए हमारे इस समाजिक परिवेश में  कोई भी स्थान नही है ,और न ही उसे कभी स्वीकारा जाए गा  | हमारे समाज में विवाह को एक पवित्र बंधन माना जाता है ,जिसका मूल आधार आपसी  प्रेम और विश्वास  है ,ऐसे में कैजुअल सेक्स आदि जैसे संबंधो को कभी भी मान्यता नही मिल सकती वह इसलिए कि यह सरासर प्रहार है हमारी संस्कृति पर ,सामजिक और पारिवारिक मूल्यों पर | इस पर कोई दो राय नही है  कि विवाह से पहले या बाद में  पुरुष चाहे कितने भी अनैतिक संबंध बना ले लेकिन वह किसी का भी जवाबदेह नहीं होता वहीं पर  अगर किसी महिला का आंचल जाने अनजाने  किसी भी कारणवश चाहे उसकी सहमती से मैला हुआ हो यां फिर वह बलात्कार की पीड़िता हो ,उसका तो पूरा जीवन एक अभिशाप बन कर रह जाता है ,उसके सारे सपने टूट कर बिखर जाते है ,और तो और समाज के कई जाने माने एवं अनजाने लोगों द्वारा  उसका यौन शौषण भी होने लगता है |

 हमारे समाज में  माता पिता बचपन से ही सदा लड़कियों और औरतों को अपनी मर्यादा में रहने शिक्षा देते  है ,परन्तु शिखा जैसी लड़किया आधुनिकता का जामा ओढ़े यां कैजुअल सेक्स में लिप्त स्त्रियाँ अनैतिक रिश्ते बना तो लेती है लेकिन इस दल दल में फंसने के बाद उनके पास  में सिर्फ हाथ मलने के सिवाय  और कोई विकल्प नही बचता , |ऐसे में अपना परिवार बनाना तो बहुत दूर कि बात है ,वह समाज से भी कटी कटी सी रहती है  और वह अपनी सारी जिंदगी पछतावे के साथ घुट घुट कर गुज़ार देती है |आज जब पूरी दुनिया सिमटती जा रही है ,हमारे देश में भी पाश्चात्य सभ्यता धीरे धीरे अपने पाँव जमा रही है ऐसे में हम सबका यह  कर्तव्य है कि हम अपनी मर्यादा की  सीमा को ध्यान में रखते हुए, अपने मूल्यों एवं संस्कारों को दुनिया में हो रही प्रगति के साथ साथ जीवित रख सके न कि आधुनिकता की अंधी दौड़ में अपनी जिंदगी ही बर्बाद कर लें |

 रेखा जोशी







No comments:

Post a Comment